चेखव की कहानी दुख: जब दुख सुनने वाला कोई न हो!
बीसवीं सदी के महानतम कहानीकार चेखव अपनी मृत्यु के 117 साल बाद भी अपनी कहानियों में जीवित हैं। चेखव की...
तीन दशकों तक पत्रकारिता करने के बाद सुधांशु गुप्त अब पूरी तरह से साहित्य में रम गए हैं. आपके तीन कहानी संग्रह 'खाली कॉफी हाउस', 'उसके साथ चाय का आख़िरी कप' और 'स्माइल प्लीज़' प्रकाशित हो चुके हैं. आपकी कहानियां, सामाजिक ताने-बाने पर लेख और समीक्षाएं सारिका, साप्ताहिक हिंदुस्तान, नया ज्ञानोदय, नवनीत, कादम्बिनी, दैनिक हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, जनसत्ता, हरिभूमि, जनसंदेश, जनवाणी आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं और होती रहती हैं. रेडियो पर आपकी कई कहानियों का प्रसारण हो चुका है.
बीसवीं सदी के महानतम कहानीकार चेखव अपनी मृत्यु के 117 साल बाद भी अपनी कहानियों में जीवित हैं। चेखव की...
दुनिया के महान कहानीकार मोपासां की मृत्यु को 125 साल से अधिक का समय बीत चुका है। फिर भी उनकी...
सुधांशु गुप्त आज बात कर रहे हैं अन्तोन चेखव की कहानी ट्यूटर को. आप भी देखिए, कैसी होती हैं कालजयी...